Chitragupta Aarti (चित्रगुप्त आरती)

चित्रगुप्त आरती (Chitragupta Aarti) को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ें और जाने चित्रगुप्त की आरती के महत्व, व्रत की विधि, व्रत के नियमों, और अन्य धार्मिक जानकारी भी है।

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देवलोक के धर्म अधिकारी भगवान चित्रगुप्त को भी कहा जाता है। उनका संबंध लेखन कार्य से भी है, और इसी कारण उनकी पूजा कलम और दवात के साथ इस दिन की जाती है। चित्रगुप्त जी का वर्णन पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता, और याज्ञवल्क्य स्मृति सहित कई ग्रंथों में मिलता है। भाईदूज के दिन, श्री चित्रगुप्त जी की पंचामृत स्नान, श्रृंगार, हवन, आरती, और कलम-दवात की पूजा होती है। भाई के तिलक से पहले, बहनें चित्रगुप्त जी की पूजा और अर्चना करती हैं। चित्रगुप्त की आरती से भाई की उम्र में वृद्धि होती है और यदि उनकी तस्वीर नहीं है तो एक कलश को स्थापित करके भी पूजा की जा सकती है।

Chitragupta Aarti | Chitragupta Aarti Hindi

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥

Chitragupta Aarti Lyrics :

Om Jai Chitragupta Hare,
Swamiji Jai Chitragupta Hare.
Bhakto ke ichhit phalko poorn kare.

Vighna vinashak mangalkarta,
Santan sukhadayi.
Bhakton ke pratipalak,
Tribhuvan yash chhaye.

Om Jai Chitragupta Hare…

Roop chaturbhuj, Shyamal moorti,
Pitambar rajai.
Maatu Irawati, Dakshina,
Vaamang sajai.

Om Jai Chitragupta Hare…

Kasht nivaarak, Dusht sanhaarak,
Prabhu antaryaami.
Srishti samhaaran, Jan dukh haran,
Prakat bhaye swami.

Om Jai Chitragupta Hare…

Kalam, dawat, shankh, patrika,
Karmen ati sohai.
Vaijayanti vanmala,
Tribhuvan man mohai.

Om Jai Chitragupta Hare…

Vishwa nyaay ka kaary sambhala,
Bramhaaharshaaye.
Koti koti devta tumhare,
Charan mein dhaye.

Om Jai Chitragupta Hare…

Nrip Sudas aur bhi Bheeshma Pitamah,
Yaad tumhein kiya.
Veg, vilamb na kiye,
Ichhit phal diya.

Om Jai Chitragupta Hare…

Dara, sut, bhagini,
Sab apne swasth ke karta.
Jaaun kahan sharan mein kiski,
Tumtaj main bharta.

Om Jai Chitragupta Hare…

Bandhu, pita tum swami,
Sharanagahun kiski.
Tum bin aur na dooja,
Aaskarun jiski.

Om Jai Chitragupta Hare…

Jo jan Chitragupta Ji ki aarti,
Prem sahit gaavein.
Chaurasi se nischit chhutain,
Ichhit phal paavein.

Om Jai Chitragupta Hare…

Nyaayadhish Bankunth nivaasi,
Paap-punya likhte.
‘Nanak’ sharan tihare,
Aasan dooji karte.

Om Jai Chitragupta Hare,
Swamiji Jai Chitragupta Hare.
Bhakto ke ichhit phalko poorn kare.”

भगवान श्री चित्रगुप्त स्तुति :

जय चित्रगुप्त यमेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्।
जय पूज्यपद पद्मेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥

जय देव देव दयानिधे,
जय दीनबन्धु कृपानिधे।
कर्मेश जय धर्मेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥


जय चित्र अवतारी प्रभो,
जय लेखनीधारी विभो।
जय श्यामतम, चित्रेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥

पुर्वज व भगवत अंश जय,
कास्यथ कुल, अवतंश जय।
जय शक्ति, बुद्धि विशेष तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥


जय विज्ञ क्षत्रिय धर्म के,
ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के।
जय शांति न्यायाधीश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥

जय दीन अनुरागी हरी,
चाहें दया दृष्टि तेरी।
कीजै कृपा करूणेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥


तब नाथ नाम प्रताप से,
छुट जायें भव, त्रयताप से।
हो दूर सर्व कलेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥

जय चित्रगुप्त यमेश तव,
शरणागतम् शरणागतम्।
जय पूज्य पद पद्येश तव,
शरणागतम् शरणागतम्॥

Bhagwan Chitragupt Stuti :

Jai Chitragupta Yamesh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ।
Jai Pujyapada Padmesh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ॥


Jai Dev Dev Dayanidhe,
Jai Deenbandhu Kripanidhe ।
Karmesh Jai Dharmesh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ॥

Jai Chitra Avatari Prabho,
Jai Lekhanadhari Vibho ।
Jai Shyamatam, Chitresh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ॥


Purvaj and Bhagwat Ansh Jai,
Kasyath Kul, Avatansh Jai ।
Jai Shakti, Budhhi Bisesh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ॥

Jai Vigyan Kshatriya Dharma Key,
Gyanta Shubhashubha Karma Key ।
Jai Shanti Nyaadhish Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ॥


Jay Deen Anuragi Hari,
Chaahen Daya Drshti Teri ।
Keejai Krpa Karoonesh Tav,
Sharanaagatam Sharanaagatam ॥

Tab Nath Naam Pratap Se,
Chhut Jaayen Bhav, Trayatap Se ।
Ho Door Sarv Kalesh Tav,
Sharanaagatam Sharanaagatam ॥


Jai Chitragupta Yamesh Tava,
Sharanagatam Sharanagatam ।
Jai Pujya Pad Padyesh Tav,
Sharanagatam Sharanagatam ॥

चित्रगुप्त आरती मंत्र :

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

चित्रगुप्त आरती: विधि, नियम, और महत्व

पूजन की विधि:

चित्रगुप्त आरती का पूजन करना एक साधना भक्ति पूजा है। यह पूजा सरलता से की जा सकती है, जहां भक्त अपनी श्रद्धा और विशेष भावना के साथ चित्रगुप्त भगवान के सामने अपनी पूर्णता को अर्पित करते हैं।

व्रत के नियम:

चित्रगुप्त आरती का व्रत भक्तों को धार्मिक अनुष्ठान और साधना में संलग्न करने का अवसर प्रदान करता है। भक्त इस व्रत के दौरान नियमों का पालन करते हैं और अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए समर्पित रहते हैं।

व्रत का महत्व:

चित्रगुप्त आरती का व्रत भक्तों को आत्मा के साथ दृढ़ संबंध स्थापित करने में सहायक है। यह व्रत उन्हें धार्मिक अभिरूचि, संतुलन, और शांति की प्राप्ति में मदद करता है।

आरती का भगवान:

चित्रगुप्त आरती चित्रगुप्त भगवान को समर्पित है, जो लोगों के कर्मों का लेखा रखने वाले देवता हैं। इस आरती से भक्त उन्हें प्रसन्न करके अपने कर्मों की सही दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

आरती के लाभ:

चित्रगुप्त आरती का प्रतिदिन नियमित पाठ करने से भक्तों को आत्मिक शक्ति, धार्मिक सजगता, और सत्य के प्रति निष्ठा मिलती है। इससे उन्हें आत्मा का संबंध मजबूत होता है और वे धार्मिक जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

भगवान के बारे में:

चित्रगुप्त भगवान हिन्दू धर्म में कर्मकांड के देवता माने जाते

हैं जो व्यक्ति के कर्मों का लेखा रखते हैं और उन्हें उनके योग्यता के अनुसार फल प्रदान करते हैं।

व्रत का कारण:

चित्रगुप्त आरती का व्रत भक्तों को चित्रगुप्त भगवान के साथ अपना संबंध मजबूत करने और उनके द्वारा दी जाने वाली योग्यताओं को समझने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

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